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Benefit of Kawach
ज्योतिषी ग्रंथो में ग्रहण योग को अशुभ योग की श्रेणी में गिना जाता है। ग्रहण योग को अशुभ योगों में अत्याधिक कष्टदायक और हानिकारक माना गया हैं। कुछ ज्योतिष विद्वानो के मतानुशार ग्रहण योग कालसर्प योग से भी अधिक कष्टप्रद और अशुभ फलदायी हैं। क्योकि, कालसर्प योग से व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव दोनों आते हैं परंतु ग्रहण योग एक ऐसा योग है जिसमें सब कुछ बुरा ही होता हैं। इस योग से प्रभावित व्यक्ति जीवन में हमेशा निराश और हताश रहता हैं।
ग्रहण योग का प्रभाव
जिस प्रकार सूर्य को ग्रहण लगने पर अंधकार फैल जाता है और चन्द्रमा को ग्रहण लगने पर उसकी चांदनी खो जाती है ठीक उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में बनते हुए कार्य अचानक रूक जाता हो तो आप इसे ग्रहण योग का प्रभाव समझ सकते हैं।
ग्रहण योग से पीड़ित व्यक्ति ने अपनी जीवन में अनेकों बार अनुभव किया होगा कि उनका कोई महत्वपूर्ण कार्य जो सभी द्रष्टि से पूर्ण हो चुका हैं या संपन्न होने ही वाला हैं, लेकिन वह कार्य के पूर्ण होने से पहले बीच में कोई ना कोई विघ्न-बाधा आते रहते हैं। जिस कारण उस व्यक्ति का बनने वाला कार्य बनते-बनते आधे में ही रुक जाते हैं। इसलिए इस योग को ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ योग माना जाता हैं।
ग्रहण योग निर्माण
ग्रहण योग तब बनता है जबकि कुण्डली के बारह राशियों में से किसी भी राशि में सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ राहु या केतु की युति हो तो ग्रहण योग बनता हैं अथवा या फिर सूर्य या चन्द्रमा के घर में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो तो भी ग्रहण योग का निर्माण होता हैं।
ज्योतिष के जानकारों का कथन हैं की ग्रहण योग जिस भाव में लगता है उस भाव से सम्बन्धित विषय में यह अशुभ प्रभाव डालता है।
यदि आप इस योग से ग्रसित हो और ग्रहणयोग से संबंधित समस्याएं आपको परेशान कर रही हो, ग्रहण योग निवारण हेतु अन्य उपायों को करने मे आप असमर्थ हो या आपके पास विधि-विधान से पूजा-पाठ इत्यादि करने का समय नहीं हो तो आपके लिऐ ग्रहण योग निवारण कवच लाभकारी हो सकता हैं। इस कवच को धारण करने से ग्रहों का कुप्रभाव शांत होने लगता हैं और आपकी ग्रहण योग से संबंधित समस्याओं का निवारण हो जाता हैं। क्योकि इस कवच का निर्माण मुख्य रुप से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ प्रभावों में वृद्धि के उद्देश्य से किया जाता हैं, इसलिए आप इससे विशेष लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं।